एक दिन “एक्स डियो” का एड देखा.. मन को बहुत भाया.. बस एक बार डियो लगाओ और सारी लड़कियां मेरे पीछे भागेगी.. मैंने प्रचार में देखा भी था कि एक्स डियो थोड़ा सा नहीं लगाया जाता है.. उसे तो ऐसे लगाते हुये दिखाता है जैसे उसी से नहा रहा हो.. मैंने भी तुरत जाकर एक एक्स डियो खरीदा.. पानी और साबुन से रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद उस डियो से फिर से अच्छे से नहाया.. आजकल टूटे पैर कि वजह से एम.टी.सी(मद्रास ट्रांस्पोर्ट कॉरपोरेशन) का प्रयोग कर रहा हूं, सो निकल लिया ऑफिस के तरफ जाने वाली बस पकड़ने के लिये..

बस में चढ़ते ही मेरी नजर तो बस भटक रही थी कि शायद बस अभी कोई खूबसूरत सी लड़की अपना फोन नंबर देगी.. आस-पास की लड़कियां तो मेरी ओर देख ही रही थी और जैसे ही मैं उनके पास से गुजर रहा था वैसे ही उनके चेहरे का भाव भी बदल रहा था.. मैं खुश.. समझ गया कि यह जरूर डियो का ही असर है.. सोच, चलो इस बार तो काम बना.. मगर किसी ने अपना नंबर नहीं दिया.. मुझे इस बात कि भी खुशी हुई कि चलो अभी तक अपनी तथाकथित भारतीय संस्कार भी बचे हुये हैं.. अब तक मैं ऑफिस पहूंच चुका था.. जैसे ही ऑफिस के अंदर गया मेरे एक मित्र ने मुझे रोक कर यूं ही मजाक उड़ाते हुये पुछ, “कितने दिनों से नहीं नहाये हो भाई?” मैं चौंक गया और पूछा, “क्यों?” उसका कहना था कि इतना डियो तो बस वही लगाता है जो 3-4 दिनों से नहाया ना हो..

बस मेरी सारी खुशी हवा हो गई और अब जाकर समझ में आया कि वे सभी मुझे इतना घूर-घूर कर क्यों देख रही थी.. फिर पूरे दिन भर बस यही कोशिश करता रहा कि मैं जिस हद तक हो सके सभी से दूर ही रहो.. कोई और भी वैसा ही ना समझ ले.. मैं अक्सर रात में बहुत देर से घर आता हूं.. मेरे घर के आस-पास घूमने वाले आवारा कुत्ते भी मुझे मेरी शक्ल से नहीं मेरी गंध से पहचानते हैं.. अब 11 बजे रात में घर पहूंचा.. वहां के आवारा कुत्तों ने भी पहचानने से इनकार कर दिया.. गलती उनकी भी नहीं थी, बेचारों ने कभी शक्ल देखी ही नहीं है.. कुत्ता भी साला कुत्ता निकला.. आव ना देखा ताव बस दौड़ा दिया.. अब टूटे पैर से कैसे दौड़ा ये मैं ही जानता हूं या मेरा बेचारा पैर.. मन ही मन एक्स डियो वालों को गालियां देता हुआ जैसे तैसे घर पहूंचा..

अब अखिरी किस्से में मन में लड्डू फूटने कि कथा भी सुने.. यह कथा जो भी सुनता है उसके सात पुस्तों तक पुण्य का लाभ होता है.. 🙂