“हेलो सर! नान फलाना नदु कॉल पनरे..(तमिल में इसका मतलब होता है मैं फलाना से बोल रहा/रही हूं)” सपाट सी आवाज आई ऊधर से..

“कहो भाई क्या कहना है?” अनमने ढंग से मैंने कहा..

वो लगभग चीख उठी, “अई-यई-यो.. हिंदी.. हिंदी..”

“हां यार ये हिंदी ही है..” मुझे हंसी आई, मगर मैंने सपाट सा उत्तर दिया..

“वेट सर, 1 मिनट वेट..” घबराते हुये वो बोली..

अब मुझे भी थोड़ी जिज्ञासा हुई की अब कौन आता है फोन पर..

फिर से उधर से एक लड़की की आवाज गूंजी, “हेलो सर मैं एच.डी.एफ.सी. बैंक से बोल रही हूं.. अभी हमारे यहां ये स्कीम आया हुआ है.. ब्लाह… ब्लाह..” वो बस बोलती गई और मैं सुनता गया.. चेन्नई में किसी कॉल सेंटर से हिंदी में बात करने वाला(या वाली) पहली बार जो मिला था.. बीच-बीच में हां हूं भी करता गया..

उसे लगा की समझ में नहीं आया मुझे.. सो उसने फिर से दोहराया, “ब्लाह.. ब्लाह..”

मैं यंत्रवत हां हूं करता रहा..

उसे फिर लगा की समझ में नहीं आया मुझे.. सो उसने तीसरी बार दोहराया, “ब्लाह.. ब्लाह..”

मुझे तो बस अच्छा लग रहा था हिंदी में और वो भी एक लड़की की आवाज जो बिना गालियां दिये अच्छे से कुछ बताये जा रही थी.. 🙂

अबकी बार उसने थोड़ा झल्लाते हुये अपनी बात खत्म की और पूछा,”अब तो समझ गये होंगे स्कीम?”

नींद से उबासी लेते हुये मैंने उसे वो सारी बात शब्दशः बता दी जो वो अभी तक उसने मुझे तीन बार कही थी.. सुनकर थोड़ा आश्चर्य से बोली, “मतलब आप समझ गये थे पहली ही बार में? तो आपने पहले क्यों नहीं बताया?”

“अजी आप कहने का मौका देती तब न?”, मैंने हंसते हुये कहा..

मैं इतनी देर से उसके बोलने के ढंग को अच्छे से सुन रहा था ये अंदाजा लगाने के लिये कि वो भारत के किस हिस्से से होगी?
वो आगे कुछ बोलती इससे पहले ही मैंने उसे कहा, “स्कीम की बात बाद में करते हैं, मगर मैं ये बता सकता हूं कि आपका घर कहां होगा..”

“कहां?” उसने उत्सुकता से पूछा..

“दिल्ली या फिर चंडिगढ़ या उसी के आस पास की कोई जगह??”

“हां मैं दिल्ली से हूं.. आपको कैसे पता?”

“आपके बोलने के ढंग से समझ गया.. अब आपकी बारी, पहचानिये मैं कहां से हूं?” ये कहते कहते मैंने अंग्रेजी में भी कुछ कह गया..

“आप अंग्रेजी जानते हैं?” आश्चर्य मिश्रित लहजे में उसने कहा.. “वैसे मैं नहीं समझ सकी की आप कहां से हैं..”

“हां जी.. अंग्रेजी जानता हूं..” हंसते हुये मैंने कहा.. “चलिये मैं ही बता देता हूं कि मैं कहां से हूं.. बिहार, पटना.. अब तमिल बोल बोल कर कॉल सेंटर वाले इतना परेशान कर देते हैं कि अब मैं हिंदी में ही उन्हें जवाब दे देता हूं..”

“हां क्या कहें, मेरा भी यही हाल है.. जब मैं किसी को फोन करती हूं और उधर से तमिल में कोई कुछ बोलता है तो मैं भी ऐसे चिल्लाती हूं.. तमिल.. तमिल..” खिलखिलाकर हंसते हुये उसने कहा..

“वैसे आपका नाम क्या है?”

“मनप्रीत कौर..”

फिर ऐसे ही लगभग 45 मिनट बातें होती रही.. अरे हां एक बात तो बताना ही भूल गया.. मैंने अपने जीवन का पहला फिक्स डिपोसिट भी उस कॉल के कारण करवा लिया.. 😀 एक अफसोस रह गया.. मैंने उसका मोबाईल नंबर क्यों नहीं लिया.. 😦